कुछ बातें आधारभूत रूप से असंभव हैं। जैसे राजनीति में अच्छे और बुद्धिमान व्यक्ति का टिक पाना। लगभग 4% लोग ही बुद्धिमान, अच्छे व राजनीति से दूर होते हैं और बाकी के लोग अपने जैसा नेता चुनते हैं। 😂 असल में, कम बुद्धिमान लोगों को ही दूसरों की ज्यादा ज़रूरत पड़ती है। इसीलिए राजनीति का जन्म हुआ। बुद्धिमान लोग हमेशा कम मेहनत वाले अपने कामो में लगे रहे और कम बुद्धि वाले लोग किसी न किसी धूर्त की सेवा करने में लगे रहे। आपको तो पता ही होगा कि दुनिया में जो व्यक्ति अपना नुकसान कर ले, उसे ही लोग अच्छा समझते हैं। लेकिन साथ ही उसे मूर्ख भी बोल कर उसका शोषण भी शुरू कर देते हैं। इसीलिए जो मूर्ख नहीं होता, धूर्त होता है, वही नेता बन पाता है और फिर अच्छे (मूर्ख) लोगों का शोषण शुरू कर देता है। 😂 राजनीति बुरी नहीं है, अगर इसे कम्प्यूटर चलाये। समस्या इंसान की धूर्तता, शासन करने की हवस, लालच, नफ़रत, और घमंड है। जो कभी खत्म नहीं हो सकता। इंसान का अस्तित्व ही इस बुराई के साथ है। इसीलिए अपनी अलग दुनिया बसाओ, आम जनजीवन से जितना दूर रह सकते हो, रहो। जीवन मे कुछ अच्छा और मनोरंजक करो। लोगों तक अपनी बात पहुँचा सकते हो
दोस्तों, मेरी परवरिश में मैंने सबसे ज्यादा मार गालियां देने पर ही खाई थी। मैं वो पशु हूँ जो किंडरगार्टन से एक लड़के द्वारा उकसाने पर ज़ोर से मैडम के सामने चूतड़ शब्द बोल कर मुर्गा बनने, अपने ऊपर उस 5 साल की उम्र में न जाने कितनी ईंट रखवा कर भी अपना अपराध नहीं समझा क्योंकि मुझे सज़ा से समझ नहीं आता।
मुझे लॉजिक चाहिए। चूतड़ गाली नहीं है, कोई गलत शब्द भी नहीं है लेकिन मुझे इसे बोलने पर अमानवीय सज़ा भोगनी पड़ी। मैं भले ही स्कूल में चुप रह गया लेकिन घर पर आसपास के लड़को से गालियाँ सीखता रहा। मैं वो ढीठ पशु हूँ जिसने जितनी मार खाई है उतनी किसी ने कभी नहीं खाई होगी।
शरारतें तो देखा देखी में और उकसाने पर कर बैठा लेकिन सज़ा मुझे निरपराध ही मिली क्योंकि मैं उनके साथ था जो शरारती थे और भाग जाते थे मुझे अकेला छोड़ कर। मैं बेईमानी, धोखे, जुल्म का शिकार 4 साल की उम्र से बना रहा हूँ। और अगर आज मैं कमरे में बंद रहता हूँ तो केवल इसलिए कि कहीं मेरी वजह से कहीं कोई नाराज न हो जाए क्योंकि मैं किसी का बुरा नहीं चाहता। न पहले न आज।
आपको नहीं पता लेकिन इस पशु शुभ ने जितने आंसू अपने जीवन में बहाए उतने शायद ही कोई रोया होगा। मुझे रोंदू नाम मिला। लड़कियों से तुलना की गई। मैं इतना दुखी हो चुका था कि आंसू हर समय पलको पर लटके होते थे। कोई ज़रा सा भी परेशान करता तो मैं फूट फूट कर रोने लगता था।
लोगों को मुझसे अब डर लगने लगा था। मेरा रोना अब एक हथियार बन चुका था। मैं लड़ता नहीं था। शिकायत कर देता था। इस पर भी मुझे ताने मिले। हैरान तो तब हो गया जब मैडम भी बोलने लगीं कि इतने मोटे हो, जो परेशान करता है उसे कूट क्यों नहीं देते? मुझे स्कूल की साख पर शक हो उठा। और मैडम को मैंने लापरवाह समझ लिया।
लेकिन उनकी शह पर अब मैंने खुद ही निबटने का फैसला लिया। पहले मुझे कहा गया था कि शिकायत करो। आत्मरक्षा नहीं। अब आत्मरक्षा को उकसाया गया। बस फिर क्या था। शुभ ने इस बार पशुता फिर दिखाई और 3 लड़के डिस्पेंसरी में इलाज करवा रहे थे। सबने मेरे अंदर भोकाल देखा। जो न जाने कब से अंदर दबा बैठा था।
मुझे याद है जब पहली बार मैंने तंग आकर लड़को को उठा उठा के दीवारों पर पटका था। इतनी ताकत कहाँ से आई? ये सवाल शायद विज्ञान से आज मैं जानता हूँ लेकिन उस समय यह चमत्कार था। मेरा आत्मविश्वास जाग गया उस दिन। लेकिन, जब मेरी माँ ने मुझे कूटा तो मेरी ताकत कम पड़ गई।
ये सब जो भी हुआ, बुरा नहीं लगता अब। क्योंकि इसने ही मुझे मजबूत बनाया है। मानसिक और शारीरिक दोनो तरह से। अब मैं तैयार हूँ दुनिया के हर भोकाल से मुकाबले के लिए। महाभोकाल बन कर। शब्दों से ही नहीं, मानसिक रूप से भी और ताकत से भी।
कुछ लोग कहते हैं कि तुम्हारा आत्मविश्वास घमण्ड लगता है। मैं कहता हूँ कि जब बात, मान, सम्मान और हक की हो तो घमंड भी ज़रूरी है। और ऐसा घमण्ड मेरी रगों में बहता है। कायरों की तरह कई बार मर के देख लिया, अब बस केवल एक बार मरना है।
और यकीन मानो, ये मौत शानदार होगी और अभी तो मुझे सिर्फ खुद के जिंदा होने का घमण्ड है। तुमको मेरे मरने पर भी घमंड होगा। मैं हूँ एक पशु होमो सेपियंस Vegan Shubhanshu Dharmamukt marriage free, Child free, antinatalist, non conformist, और हाँ, चूतिया भी। नमस्ते। 2020©
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