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मार्च, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राजनीति, बुद्धि और धूर्तता Politics, Intelligence and Con ~ Shubhanshu

कुछ बातें आधारभूत रूप से असंभव हैं। जैसे राजनीति में अच्छे और बुद्धिमान व्यक्ति का टिक पाना। लगभग 4% लोग ही बुद्धिमान, अच्छे व राजनीति से दूर होते हैं और बाकी के लोग अपने जैसा नेता चुनते हैं। 😂 असल में, कम बुद्धिमान लोगों को ही दूसरों की ज्यादा ज़रूरत पड़ती है। इसीलिए राजनीति का जन्म हुआ। बुद्धिमान लोग हमेशा कम मेहनत वाले अपने कामो में लगे रहे और कम बुद्धि वाले लोग किसी न किसी धूर्त की सेवा करने में लगे रहे। आपको तो पता ही होगा कि दुनिया में जो व्यक्ति अपना नुकसान कर ले, उसे ही लोग अच्छा समझते हैं। लेकिन साथ ही उसे मूर्ख भी बोल कर उसका शोषण भी शुरू कर देते हैं। इसीलिए जो मूर्ख नहीं होता, धूर्त होता है, वही नेता बन पाता है और फिर अच्छे (मूर्ख) लोगों का शोषण शुरू कर देता है। 😂 राजनीति बुरी नहीं है, अगर इसे कम्प्यूटर चलाये। समस्या इंसान की धूर्तता, शासन करने की हवस, लालच, नफ़रत, और घमंड है। जो कभी खत्म नहीं हो सकता। इंसान का अस्तित्व ही इस बुराई के साथ है। इसीलिए अपनी अलग दुनिया बसाओ, आम जनजीवन से जितना दूर रह सकते हो, रहो। जीवन मे कुछ अच्छा और मनोरंजक करो। लोगों तक अपनी बात पहुँचा सकते हो

Feminism: समता और न्याय की बात ~ Shubhanshu

यदि आप पुरुष हैं तो महिलाओं के बारे में ज्ञान देना बन्द करें। आप महिलाओं के बारे में महिलाओं से अधिक नहीं जानते हैं। जैसे आप महिलाओं को ब्रा, पैंटी, माहवारी, बच्चा पालने, कैसे रहना है, कैसे जीना है, किचन आदि का ज्ञान न दें। इसी तरह यदि आप महिला हैं तो पुरुषों के बारे में ज्ञान देना बन्द करें। आप पुरुषों के बारे में उनसे अधिक नहीं जानती हैं। जैसे आप मर्द सुधर नहीं सकता है, वो तो बना ही शोषण के लिये है, वो तो होता ही ऐसा है आदि नकारात्मक बातें न करें। ये फेमिनिस्म के सभी सिद्धांतो के खिलाफ बात है। मर्द सुधरेगा, इसीलिये हम फेमिनिस्म को मानते हैं। अन्यथा बन्दूक पकड़ा दी जाती हर महिला को। महिला, महिलाओं के बारे में ज्ञान दे और पुरुष, पुरुषों के बारे में ज्ञान दे। तो ही नैतिक लगेगा। ये तो हुई बात लैंगिक समानता की। अब बात करते हैं पितृसत्ता की। हमारी लड़ाई पितृसत्ता से है। मर्दों से नहीं।  मर्द 90% पितृसत्तू हैं इसीलिये मर्दों का नाम अक्सर लिया जाता है। लेकिन इसका अर्थ ये नहीं कि मर्द सुधर नहीं सकता है। मैं सुधरा हूँ। कई और फेमिनिस्ट मर्द सुधरे हैं। किसी लिंग के बारे में धारणा बनाना ही अन्याय ह

शरीर सुंदर असुंदर नहीं होते। हमारी सोच होती है। ~ Shubhanshu

एक बात समझने वाली है। हम सब की व्यक्तिगत पसन्द भिन्न हो सकती है और एक सी भी। लेकिन आपको कोई मानक सेट करने की आवश्यकता नहीं। ये अपराध है। इसीलिए न तो अपने हिसाब की सुंदरता का प्रचार करें और न ही असुन्दरता का। जो व्यक्ति वैसा नहीं, वह भी किसी और की पसन्द हो सकता है लेकिन अगर आप ऐसे मानक स्थापित करेंगे कि फलाँ आकार-प्रकार, रंग-रूप का व्यक्ति ही श्रेष्ठतम है तो आप, जो वैसा नहीं, उसके अस्तित्व को ही अपमानित कर रहे हैं। इससे लोग आत्महत्या कर रहे हैं। मैं भी पहले सुंदर लगने वाली लड़कियों की फ़ोटो शेयर करता रहता था। तब मुझे एक लड़की ने जमकर डाँट लगाई। उसने कहा कि आप जो ऐसे नहीं, उनको अपमानित कर रहे हैं। अपनी पंसद को सीमित लोगों में बता सकते हैं। लेकिन इस तरह से सबके बीच नहीं। सबके बीच बोलने से मानक सेट हो जाते हैं जो कि आवश्यक नहीं और घातक हैं। तब से मैं वर्तमान मानक को तोड़ने हेतु कुछ विपरीत पोस्ट अवश्य कर रहा हूँ लेकिन कोई मानक सेट करने हेतु नहीं। न ही आपको करने की आवश्यकता है। मैं आपसे आपको किसी गन्दी लगने वाली शक्ल या शरीर की तारीफ करने को नहीं बोल रहा। झूठ बोलने की आवश्यकता भी नहीं। लेकिन जहा