कुछ बातें आधारभूत रूप से असंभव हैं। जैसे राजनीति में अच्छे और बुद्धिमान व्यक्ति का टिक पाना। लगभग 4% लोग ही बुद्धिमान, अच्छे व राजनीति से दूर होते हैं और बाकी के लोग अपने जैसा नेता चुनते हैं। 😂 असल में, कम बुद्धिमान लोगों को ही दूसरों की ज्यादा ज़रूरत पड़ती है। इसीलिए राजनीति का जन्म हुआ। बुद्धिमान लोग हमेशा कम मेहनत वाले अपने कामो में लगे रहे और कम बुद्धि वाले लोग किसी न किसी धूर्त की सेवा करने में लगे रहे। आपको तो पता ही होगा कि दुनिया में जो व्यक्ति अपना नुकसान कर ले, उसे ही लोग अच्छा समझते हैं। लेकिन साथ ही उसे मूर्ख भी बोल कर उसका शोषण भी शुरू कर देते हैं। इसीलिए जो मूर्ख नहीं होता, धूर्त होता है, वही नेता बन पाता है और फिर अच्छे (मूर्ख) लोगों का शोषण शुरू कर देता है। 😂 राजनीति बुरी नहीं है, अगर इसे कम्प्यूटर चलाये। समस्या इंसान की धूर्तता, शासन करने की हवस, लालच, नफ़रत, और घमंड है। जो कभी खत्म नहीं हो सकता। इंसान का अस्तित्व ही इस बुराई के साथ है। इसीलिए अपनी अलग दुनिया बसाओ, आम जनजीवन से जितना दूर रह सकते हो, रहो। जीवन मे कुछ अच्छा और मनोरंजक करो। लोगों तक अपनी बात पहुँचा सकते हो
यदि आप पुरुष हैं तो महिलाओं के बारे में ज्ञान देना बन्द करें। आप महिलाओं के बारे में महिलाओं से अधिक नहीं जानते हैं।
जैसे आप महिलाओं को ब्रा, पैंटी, माहवारी, बच्चा पालने, कैसे रहना है, कैसे जीना है, किचन आदि का ज्ञान न दें।
इसी तरह यदि आप महिला हैं तो पुरुषों के बारे में ज्ञान देना बन्द करें। आप पुरुषों के बारे में उनसे अधिक नहीं जानती हैं।
जैसे आप मर्द सुधर नहीं सकता है, वो तो बना ही शोषण के लिये है, वो तो होता ही ऐसा है आदि नकारात्मक बातें न करें। ये फेमिनिस्म के सभी सिद्धांतो के खिलाफ बात है। मर्द सुधरेगा, इसीलिये हम फेमिनिस्म को मानते हैं। अन्यथा बन्दूक पकड़ा दी जाती हर महिला को।
महिला, महिलाओं के बारे में ज्ञान दे और पुरुष, पुरुषों के बारे में ज्ञान दे। तो ही नैतिक लगेगा।
ये तो हुई बात लैंगिक समानता की। अब बात करते हैं पितृसत्ता की। हमारी लड़ाई पितृसत्ता से है। मर्दों से नहीं।
मर्द 90% पितृसत्तू हैं इसीलिये मर्दों का नाम अक्सर लिया जाता है। लेकिन इसका अर्थ ये नहीं कि मर्द सुधर नहीं सकता है। मैं सुधरा हूँ। कई और फेमिनिस्ट मर्द सुधरे हैं।
किसी लिंग के बारे में धारणा बनाना ही अन्याय है। हालांकि वैध व प्रमाणिक सर्वे के आधार पर हम कोई जैववैज्ञानिक अवधारणा बना भी सकते हैं लेकिन बिना किसी मानक और वैध सर्वे के ऐसा नहीं होना चाहिये। ~ Shubhanshu
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