कुछ बातें आधारभूत रूप से असंभव हैं। जैसे राजनीति में अच्छे और बुद्धिमान व्यक्ति का टिक पाना। लगभग 4% लोग ही बुद्धिमान, अच्छे व राजनीति से दूर होते हैं और बाकी के लोग अपने जैसा नेता चुनते हैं। 😂 असल में, कम बुद्धिमान लोगों को ही दूसरों की ज्यादा ज़रूरत पड़ती है। इसीलिए राजनीति का जन्म हुआ। बुद्धिमान लोग हमेशा कम मेहनत वाले अपने कामो में लगे रहे और कम बुद्धि वाले लोग किसी न किसी धूर्त की सेवा करने में लगे रहे। आपको तो पता ही होगा कि दुनिया में जो व्यक्ति अपना नुकसान कर ले, उसे ही लोग अच्छा समझते हैं। लेकिन साथ ही उसे मूर्ख भी बोल कर उसका शोषण भी शुरू कर देते हैं। इसीलिए जो मूर्ख नहीं होता, धूर्त होता है, वही नेता बन पाता है और फिर अच्छे (मूर्ख) लोगों का शोषण शुरू कर देता है। 😂 राजनीति बुरी नहीं है, अगर इसे कम्प्यूटर चलाये। समस्या इंसान की धूर्तता, शासन करने की हवस, लालच, नफ़रत, और घमंड है। जो कभी खत्म नहीं हो सकता। इंसान का अस्तित्व ही इस बुराई के साथ है। इसीलिए अपनी अलग दुनिया बसाओ, आम जनजीवन से जितना दूर रह सकते हो, रहो। जीवन मे कुछ अच्छा और मनोरंजक करो। लोगों तक अपनी बात पहुँचा सकते हो
जहाँ साम्यवाद है, वहाँ लोग लोकतंत्र को सही बता रहे (हांगकांग) और जहाँ लोकतंत्र है वहाँ साम्यवाद को सही बता रहे (भारत)।
जब कांग्रेस थी तब BJP सही लगती थी और जब BJP है तो कांग्रेस अच्छी लगने लगी है।
पहले जो लड़की भाव नहीं देती थी तब बहुत अच्छी लगती थी और जब भाव देकर गले पड़ गयी तो अब उसे छोड़ के बाकी सब तरह की लड़कियां अच्छी लगने लगी हैं।
फिर जिस प्रेमिका से ब्रेकअप हुआ, 6 माह बाद वह पहले से भी ज्यादा आकर्षित करने लगी और जिसके साथ अभी मजे कर रहे वो बदसूरत लगने लगी है।
MBBS करने के बाद इंजीनियरिंग की डिग्री में स्कोप दिखने लगता है और इंजीनियरिंग करने के बाद 'MBBS किया होता तो आज लखपति होता' ऐसा विचार आता है।
आर्ट साइड से पढ़ाई पूरी करने पर साइंस साइड ली होती तो लाइफ बन जाती ऐसा लगता है और साइंस साइड से पढ़ाई पूरी करो तो लगता है कि आर्ट साइड में ही सारी जॉब हैं।
हमारी थाली में वही भोजन है जो दूसरे की थाली में है, लेकिन हमें सिर्फ हमारी थाली में जली रोटी दिखाई देती है। दूसरे की थाली का जला गुलाबजामुन भी अपने वाले से ज्यादा सुनहरा लगता है।
दरअसल सही-गलत कुछ नहीं है, हम लोगों की प्रकृति ही ऐसी है कि जो हम पर नहीं होता, हम उसी को देख कर लार टपकाते हैं।
इसलिए विवेक से कार्य लेना चाहिए और खुद पर भरोसा रखना चाहिए। आप को केवल आप ही ढंग से संतुष्ट कर सकते हैं। कोई और नहीं।
अगर बीमार आप हैं, तो इलाज की ज़रूरत आपको है। किसी स्वस्थ व्यक्ति को नहीं।
याद रखिये, अगर आप परेशान हो तो सुधार की ज़रूरत दूसरे में नहीं है, आप में है। ~ Shubhanshu 2020©
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